मैं रोज़ रात घर लौटता हुँ
एक नयी उम्मीद लेके
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कुछ दुख कुछ दर्द लेके
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एक आस कुछ फ़र्ज़ लेके
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कुछ वक्त कुछ नींद खोके
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मैं रोज़ रात घर लौटता हूँ
एक नयी उम्मीद लेके
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जब टूट जाता है हौंसला मेरा
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जब रूठ जता है वक्त मेरा
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जब कोई ना दे साथ मेरा
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जब अकेला पड़ जाए हाँथ मेरा
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मैं चल पड़ता हुँ चेहरे पे मुस्कान लेके
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मैं रोज़ रात घर लौटता हुँ
एक नयी उम्मीद लेके
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इश्क़ अधूरे रहे,फ़र्ज़ सारे पूरे किए
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कुछ अपने साथ हैं,पराए जाने दिए
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मैं रहता हूँ धुन में अपनी
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ज़ख्म तो सारे कबके भुला दिए
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आग लगा कर किसी के घर में
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दूर खड़े रह कर कभी हाँथ नहीं सेके
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मैं रोज़ रात घर लौटता हुँ
एक नयी उम्मीद लेके