हर रोज़ मिलेंगे फिर बिछड़ जाएँगे
यादों के सहारे महफ़िल में उतर जाएँगे
लोग मिलेंगे ओर गले लगाएँगे हमें
फिर देर रात सब अपने अपने घर जाएँगे
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कुछ आएँगे रुलाएँगे
बहलायेंगे फुसलाएँगे
हम रो गए कल महफ़िल में
आज फिर महफ़िल में जाएँगे
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दिल थक चुका अब डरने से
हम गिर कर भी उठ जाएँगे
माँ करती है इंतेज़ार तभी
हम हँस कर ही घर जाएँगे
हम हँस कर ही घर जाएँगे