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  • Writer's pictureSachin G

मिली है अब राहत “इंदौरी”

बिछड़ा रहा, सुकून से मैं

अब जा कर चाहत मिली


मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


बाँहें लगे हैं कैद सी

जो गोध माँ की अब मिली


हाँ मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


छोड़ रहा हूँ भीड़ मैं

जो साँसें थीं ये मिलीं


मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


मुक़ाम वहाँ भी बना लूँगा

जो ऊँचाई थी यहाँ मिली


हाँ मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


आँसु भरे पलकें सभी

जनाज़े पर जो मिलीं


मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


उम्र भर जो खोई रही

अब झलक यार की मिली


हाँ मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


ये वतन मिला, ये ज़मीं मिली

कुछ पुरा हूँ कुछ कमी मिली


हाँ मिली तो है कई दफ़ा मगर

अब जाकर राहत मिली


कई फ़रिश्ते लेने आए मुझे

कई अलविदा करने चले

मैं चल पड़ा दिल थाम कर

सबकी आँखो में नमी मिली


हाँ मिली तो है कई दफ़ा


इंदौरी अब जाकर राहत मिली

इंदौरी अब जाकर राहत मिली


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