हूँ सुनाता शायरी किसी और की
जानेमन मुझे इझार करना नहीं आता
.
और गौर से सुन ना ज़रा अल्फ़ाज़ मेरे
वो क्या है ज़ाहिर जज़्बाद करना नहीं आता
.
के इश्क़ मोहब्बत प्यार करना है मगर
औरों की तरह किसी को बर्बाद करना नहीं आता
.
जान रूठ जाना तुम कभी कभी
मैं जाहिल हूँ मनाना हर बार नहीं आता
.
मैं जैसा हूँ मैं वैसा ही रहूँगा
किसी और का किरदार निभाना नहीं आता