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  • Writer's pictureSachin G

नया साल




एक और साल गुज़र गया

कुछ बदले लोग,कुछ मैं बदल गया

कोई अपना था मिल गया

कोई पराया था बिछड़ गया

किसी की यादें थी जल गयीं

कुछ वक्त था गुज़र गया

कोई आया नया ज़िंदगी में

कोई पुराना था निकल गया

कुछ शिकाएतो का बोझ है

कुछ खाइशों से दब गया

कुछ माँग कर भी ना मिला

कुछ बिन माँगे मिल गया

कुछ बारिशों में भीग कर

कुछ आंसुओं में बह गया

एक पेड़ जो था मर गया

एक फूल सा वह खिल गया

था लहरो में झूमता

वह दरिया में घुल गया

तुम मानते थे मित्र जिसे

वह दुश्मनो से मिल गया

एक और साल गुज़र गया

कुछ बदले लोग कुछ मैं बदल गया

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