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  • Writer's pictureSachin G

शून्य

Updated: May 20, 2020



पहले दिन से ही शुरू हुआ

प्यार इस कदर गुरु हुआ

मैंने चाहत में खुदा किया

उसने दो पल में जुदा किया


मैंने पूछा तो पलट गया

वो ग़ैरों से लिपट गया

था इश्क़ भी मैं ना जनता

उसका दिल भी था सिमट गया



कुछ फूलों के बाघ हैं

कुछ यादों के खुआब हैं

कुछ छोड़ आया दर्द मैं

कुछ मिलने को बेताब हैं



कुछ ज़ख्म दिल में हैं दफ़न

वही दर्द हैं वही हैं मरहम

दस्तूर है दुनियाँ का ये

कुछ यार हैं कुछ हैं सनम



हम दर्द में जीते रहे

कुछ याद में पीते रहे

एक आह निकली दिल से जब

ज़ख्म थे कई सीते रहे



वो क़त्ल करके है घूमता

रहा दर बदर ही मैं झूमता

मैंने चाहा ना किसी और को

वो हर किसी को है चूमता



एक आग है भूजती नहीं

हर दिल में ये जलती नहीं

अब ढूँढती हो इश्क़ तुम

मोहब्बत यूँ मिलती नहीं



सारा बदन ही सुन हो गया

वो ग़ैर की बाँहों में सो गया

माना था कभी खुदा जिसे

मेरे इश्क़ का कातिल हो गया



अब नफ़रत लिए बैठा हूँ मैं

अब मत पूछो के कैसा हूँ मैं

तुम्हें शौख है क़ीमती चीजों का

और शून्य के जैसा हूँ मैं

और शून्य के जैसा हूँ मैं


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