पहले दिन से ही शुरू हुआ
प्यार इस कदर गुरु हुआ
मैंने चाहत में खुदा किया
उसने दो पल में जुदा किया
मैंने पूछा तो पलट गया
वो ग़ैरों से लिपट गया
था इश्क़ भी मैं ना जनता
उसका दिल भी था सिमट गया
कुछ फूलों के बाघ हैं
कुछ यादों के खुआब हैं
कुछ छोड़ आया दर्द मैं
कुछ मिलने को बेताब हैं
कुछ ज़ख्म दिल में हैं दफ़न
वही दर्द हैं वही हैं मरहम
दस्तूर है दुनियाँ का ये
कुछ यार हैं कुछ हैं सनम
हम दर्द में जीते रहे
कुछ याद में पीते रहे
एक आह निकली दिल से जब
ज़ख्म थे कई सीते रहे
वो क़त्ल करके है घूमता
रहा दर बदर ही मैं झूमता
मैंने चाहा ना किसी और को
वो हर किसी को है चूमता
एक आग है भूजती नहीं
हर दिल में ये जलती नहीं
अब ढूँढती हो इश्क़ तुम
मोहब्बत यूँ मिलती नहीं
सारा बदन ही सुन हो गया
वो ग़ैर की बाँहों में सो गया
माना था कभी खुदा जिसे
मेरे इश्क़ का कातिल हो गया
अब नफ़रत लिए बैठा हूँ मैं
अब मत पूछो के कैसा हूँ मैं
तुम्हें शौख है क़ीमती चीजों का
और शून्य के जैसा हूँ मैं
और शून्य के जैसा हूँ मैं