यहाँ सभी एक से दिखते हैं
नक़ाब कम आज कल चेहरे ज़्यादा बिकते हैं
और कह के , के भूल जाएँगे तुम्हें एक दिन
मूसलसल बरसो सें तुम्हारे लिए लिखते हैं
के चाँद आया नहीं , हम छत पर दिखते हैं
बेचैनी हुई रात भर , बाज़ार में ज़हर भी कई बिकते हैं
मन्नत माँगी कई दफ़ा पाने की तुझे
खुदा क़सम तुम्हारे नाम से टूटते तारे भी कई दिखते हैं
के एक वक़्त पर खुदा दिखते हैं
भीड़ दिखते ही जुदा दिखते हैं
हमसफ़र मिला ना कोई यहाँ
मतलबि यार तो कई दिखतें हैं
मानते हैं हम जिसे अपना
ना जाने क्यूँ ग़ैर से दिखते हैं

ख़ुशी में तो दिखती हैं भीड़ यहाँ
ग़म तो सिर्फ़ हमारी तराज़ू में बिकते हैं
एक ही शख़्स में दुश्मन हज़ार दिखते हैं
ऊपर से हँसते हैं लोग यहाँ अंदर से बिमार दिखतें हैं
मतलब पर नज़र आते हैं मित्र यहाँ
ज़रूरत पड़ते ही फ़रार दिखते हैं
हमने खुलके दोस्ती की है सबसे
मगर दोस्त आप दौलत के यार दिखते हैं
आप हँस तो रहे हैं दोस्त मगर
अंदर से बिमार दिखते हैं
अंदर से बिमार दिखते हैं
नक़ाब कम आज कल चेहरे ज़्यादा बिकते हैं
नक़ाब कम आज कल चेहरे ज़्यादा बिकते हैं